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5 Sep 2019 · 1 min read

गुरु वंदना।

गुरु का कर वन्दन, रज चंदन
कर गुरु का सम्मान,
हरता तम, पथ आलोकित कर
करता गुरु कल्याण।

ज्ञान अलौकिक भरता
पशुता का होता संहार,
गुरु जब है पतवार मनुज की
नौका सरिता पार।

आयी वेला गुरु के पद तू
अपना सीस झुका ले,
दे श्रद्धा के पुष्प चरण में
कुछ ऋण आज चुका ले।
अनिल कुमार मिश्र।

Language: Hindi
1 Like · 434 Views
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