गुरु महिमा
गुरु शरण में आईए,
गुरुवर है पालनहार।
गुरु कृपा से ही मिलता
है सुख अपरम्पार ॥ 1 ॥
बिना गुरु न ज्ञान हो,
और न मिलता मान ।
गुरु है ईश्वर की छाया ,
गुरु को तु पहचान ॥ 2 ॥
गुरु को जो पहचान ले,
उसका हो उद्धार ।
गुरु के आशीर्वाद से ,
होगा बेडा पार ॥ 3 ॥
गुरु के पावन चरणों में,
बसतें है चारो धाम।
गुरु की तुम सेवा कर लो ,
तुम कर लो उन्हें प्रणाम ॥ 4 ॥
मात पिता संग गुरु कृपा,
जिसकी झोली में आए ।
भाग्यवान वह मानव हो ,
जो जग में सुख पाए ॥ 5 ॥