गुरु बिन ज्ञान नहीं
गुरु बिन ज्ञान नहीं
खुद लौ की भांति, जलकर
रोशनी, जग को दिखाता है ।
ज्ञान बांटता, बात-बात पर
अध्यापक ,कहलाता है ।।
कच्ची मिट्टी की, भाँति जब
बच्चा स्कूल में ,आता है ।
उस भोले से बच्चे का, वह
संरक्षक, बन जाता है ।।
पढ़ना कैसे ,लिखना कैसे
हाथ पकड़, सिखलाता है ।
बच्चों को वह ,खेल खिलाकर
खुद बच्चा ,बन जाता है ।।
हिंदी, इंग्लिश, मैथ पढ़ा कर
इतिहास, वही सिखलाता है ।
घर में पहले , तैयारी कर
फिर स्कूल में ,आता है ।।
अध्यापन है ,जिम्मेवारी
समझ उसे ,यह आता है ।
चूक हुई ,थोड़ी सी भी तो
जीवन भर पछताता है ।।
मात-पिता बेशक ,घर डांटे
डांट वह, नहीं पाता है ।
मानवता की बात ,बता कर
गुण दोष वही, सिखलाता है ।।
मिलता नहीं ,मान-सम्मान तो
हंसी में ,टाल रह जाता है ।
फिर भी ,कक्षा में आते ही
ज्ञान, वही कहलाता है ।।
गुरु बिन ज्ञान, नहीं आता है
हमें समझ ,नहीं आता है
देता वह ,खुद का उदाहरण
गलत नहीं, सिखलाता है ।।
कोई शिष्य, अपने कृत्यों से
जब गुरु का मान, गिराता है ।
दुख देता मेरे मन को, वह
दिल आंसू धुंट, पी जाता है ।।
आदर्शवादिता ,कभी ना छोड़ो
भगवान सा ,रिश्ता नाता है ।
फिर देखो ,एक शिष्य भी
एकलव्य ,हो जाता है ।।
रंग-भेद और ,ऊंच-नीच का
भेदभाव नहीं ,लाता है ।
ज्ञान बटें ,हर जाति धर्म में
शिक्षक, यही तो चाहता है।।
नेता, अभिनेता, इंजीनियर और
डॉक्टर ,वही बनाता है ।
बांधे रखो ,सम्मान की डोर से,
कच्चा सा ,रिश्ता नाता है।।