गुरु दक्षिणा
गुरु दक्षिणा
अर्जुन सहित लगभग सभी लोग यही मानकर चल रहे थे कि विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग व्याख्याता के रिक्त एकमात्र पद पर गोल्ड मैडलिस्ट अर्जुन की ही नियुक्ति होगी।
आरक्षित वर्ग का होने के कारण तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण एकलव्य भी अपनी नियुक्ति के प्रति आश्वस्त था।
चयन सूची में द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए दुःशासन का नाम देखकर सभी चकित रह गये।
बाद में पता चला कि दु:शासन ने कुलपति द्रोण को मुँहमाँगी गुरु दक्षिणा दी थी, जिससे साक्षात्कार में उसे सर्वाधिक अंक मिले और उसका चयन हो गया।
– डाॅ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़