गुरु गोविन्द सिंह चालीसा
दोहा
गुरु को नमन कीजिये, महिमा होय अपार I
प्रकाशपर्व कि बेला, होगा बेड़ा पार II
चौपाई
दिल्ली की गद्दी पर बैठा I जालिम शाशक था वो ऐंठा II
औरंगजेब से मुक्ति मिले I हिन्दू धर्म का भविष्य खिले II
मानवता पर शीश कटाया I गुरु तेग बहादुर को भाया II
दिसंबर बाइस छियासठ सन I गोविन्द जन्मे खुश हुआ मन II
ऐसे पिता की संतान थे I माँ गूजरी का अभिमान थे II
बालपन से अचूक निशाना I महिलाओं को मिला बहाना II
जब भी जल का घड़ा टूटता I महिलाओं का कोप फूटता II
माँ के पास शिकायत जाती I शैतानी उनको न भाती II
पीतल का घड़ा सबको दिया I पीड़ितों का संकट हर लिया II
रंगे हाथ पकड़ में आए I माँ से खूब डाँट वो पाए II
माँ ने उनको जब समझाया I सबकुछ उनके मन को भाया II
माँ को तभी एक वचन दिया I सदा फिर उसका पालन किया II
आठ वर्ष कि बाली उमरिया I ज्ञान भरके छलके गगरिया II
शास्त्र में पारंगत होते I देख पिता भी प्रसन्न होते II
शीश कटा पिता शहीद हुए I तब बालपन में ही गुरु हुए II
इकलौती संतान थे वो I माता-पिता कि शान थे वो II
तीन विवाह उनको सुहाया I उनसे चार सुतों को पाया II
पिता का आदर्श अपनाया I औरंगजेब से बैर भाया II
कश्मीरी हिंदुओं की रक्षा I इंसानियत को दी सुरक्षा II
कई भाषाओँ का ज्ञान था I मार्शल आर्ट का भी भान था II
भीमचंद से हाथापाई I आनंदपुर से दूरी भाई II
पहले चले राह नहान की I फिर थामी राह पओंता की II
पओंता गुरुद्वारा बनाया I सिक्ख धर्म का पाठ पढ़ाया II
भक्तों को गुरुद्वारा भाया I प्रमुख तीर्थस्थल कहलाया II
तीन साल तक पओंता रहे I गुरु गोविन्द सिंह पाठ कहे II
भीमचंड मिल गर्वल राजा I फ़तेह खान ने युद्ध साजा II
रण में दुश्मन की हार हुयी I गुरु की महिमा अपार हुयी II
खालसा वाणी स्थापित किया I सेना सिंह आधारित किया II
पांच सूत्र का मूल मंत्र था I कच्छा और कृपाण संग था II
कंघा स्वच्छता की निशानी I कड़ा स्वरक्षा स्वाभिमानी II
केश तो भेष का था हिस्सा I सिक्ख होने का यही किस्सा II
मुगलों को फिर दूरी भाई I गुरु संग नहीं दिया दिखाई II
बहादुर साह मित्र बन गए I भारत का संत कह गए II
बहकावे में षड़यंत्र किया I विश्राम घर पर हमला किया II
नींद में गुरु पर वार किया I छल रचा उनपर प्रहार किया II
वर्ष था सत्रह सौ आठ का I दिवस था अक्टूबर सात का II
गुरु गोविन्द ने प्राण त्यागे I सबके मन में रहते जागे II
गुरु के ग्रन्थ को पूरा किया I मानवता का ही सीख दिया II
गुरु ग्रन्थ साहिब कहलाये I भक्तों को ग्रन्थ खूब भाये II
प्रकाश उत्सव सभी मनाते I गुरु गोविन्द की गाथा गाते II