गुरु के श्री चरणों में समर्पित दोहें
बिन गुरु राम राम नही, मिले न गुरु बिन ज्ञान।
गुरु की दृष्टि पड़े अगर, शिला बने भगवान।।
शून्य से जो शिखर तलक, रखें सदा ही ध्यान।
मात – पिता हैं और गुरु, तीनों एक समान।।
गुरु के चरणन में सदा, बसते चारों धाम।
सच्चिदानंद गुरु मिले, विनय करूँ हे राम।।
कहे सतेन्द्र गुरु मिले, मुझे सच्चिदानंद।
ऐसे गुरु हैं अब कहाँ, हैं भी तो बस चंद।।
पूज्य हैं हे गुरु सदा, देतें शुभ आशीष।
दास मैं रहूँ आपका, चरणन में हो शीश।।
✍️ सतेन्द्र गुप्ता
पडरौना-कुशीनगर
मो. :- 6393000233