गुरु की महिमा पर कुछ दोहे
गुरु बिन न बुद्धि मिले,गुरु बिन न होए ज्ञान।
गुरु बिन न पथ मिले,गुरु बिन न मिटे अज्ञान।।
गुरु तीनों देव है,इससे बड़ा जग में न कोय।
जो इसकी शरण में जाए,उसका सर्वदा हित होय।।
मां सबसे पहली गुरु है,जो सिखाती सब ज्ञान।
उसकी पहले वंदना करो,जो रखे तुम्हारा ध्यान।।
गुरु की महिमा सबसे बड़ी, जो है अपरम पार।
जो इसकी महिमा समझ गया, उसकी नैया पार।।
गुरु का दर्जा सबसे बड़ा,इससे बड़ा न है कोय।
भगवान भी न इनसे बड़े, जो जग पालन होय।।
गुरु चरण स्पर्श से,सबको मिलते है आशीष।
शिष्य जितना भी दुष्ट हो,देते नहीं गुरु दुशिष।।
नानक जी भी एक गुरु थे,जिन्होंने चलाया सिक्ख पंत।
उनके कारण ही चला आ रहा ,आज भी उनका पंत।।
गुरुओं की अनेकों मिशाल है, दिया सबको ज्ञान।
द्रोणाचार्य विश्वामित्र उनमें एक है भारत बना महान।।
गुरु के समतुल्य है नहीं,इस जगत में है कोय।
गुरु से भी नहीं बड़ा,भगवान के गुरु भी होय।।
प्रकृति भी एक गुरु है,जो देती सबको सीख।
कोरोना काल में दे रही है,सबको बड़ी ये सीख।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम