गुरु की महत्ता
गुरु की गरिमा का बहुत सुना है लेखा जोखा,
आज में अपने मन आत्मन के मंथन की भाषासे,
शब्दों के रत्न की माला को खुद की जिह्वा से,
उनका महिमागान सुनाती हू…!
जहाँ में है उनका पलड़ा भारी वो है प्रतिमा न्यारी,
हर एक को रास्ता दिखाता है,
ये नहीं जानता भेदभाव की वाणी,
ज्ञानधारी ज्ञानेश्वर, देवता की मूरत,
दिखाते है सचाई की सूरत…!!
उनकी दृष्टि में सौम्यता एवं
सहानुभूति और एकत्व का संगम,
जैसे सागर की विशालता और धीरता का प्रतीक….!!!