” गुरु का पर, सम्मान वही है ! “
” गुरु का पर, सम्मान वही है ! ”
पाठ नया, शुरूआत नयी है
नया युग है, बात नयी है।
तकनीक भले इंसान बदल दे,
गुरु का पर, सम्मान वही है।।
नया युग भले ही भेष बदल दे,
हर शिष्य भी किंचित देश बदल दे,
नया ज्ञान भले पहचान बदल दे,
ज्ञान का भरसक काम यही है।
गुरु का पर, सम्मान वही है।।
कलयुग में स्वाभिमान नहीं है,
गुरु का गौरव-गान नहीं है,
हर शिष्य को किंचित ये ध्यान नहीं है,
भले ही धन, इंसान बदल दे,
गुरु का पर, सम्मान वही है।।
✍ सारांश सिंह ‘प्रियम’