Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2022 · 2 min read

” गुरु का अभिनन्दन “

डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
==================
सबके के भाग्य का सितारा कहाँ बुलंद होता है कि जिसके सिर पर गुरु द्रोणाचार्य के हाथ हों ? समस्त विद्यार्थिओं की अभिलाषा होती है कि हम वीर धनुर्धर अर्जुन बने ! पर सपने सबके पुरे नहीं होते ! अधिकांशतः लोग साक्षात् सानिध्य से बंचित रह जाते हैं ! और उन्हें एकलव्य बनना पड़ता है ! हमें भी गुरुओं के सानिध्य में रहने का अवसर नहीं प्राप्त हुआ ! परन्तु सिखने की ललक ने हमें “एकलव्य” बना दिया !
प्राथमिक पाठशाला में तो हमें यह ज्ञान भी नहीं था और ना माध्यमिक स्कूल में हम सोचने के काबिल ही थे ! परन्तु अपने गुरु की ललक हमें अपने कॉलेज में होने लगी ! अवसर तो हमें मिल ना सका कि हम किसी के घोषित शिष्य बन जायें ! पर ऐसी स्थिति में हमें अपना निर्णय करना था कि हम किसे अपना द्रोणाचार्य बनायें ?
हमारी निगाहें गुरुओं में टिकी हुयी थी ! सब गुरुओं में प्रतिभा ही प्रतिभा भरी पड़ीं थीं ! पर हमें तलाश थी उनकी ,जिनकी परछाईयों में रहकर सर्वांगीण विकास हो सके और एक सफल धनुर्धारी बन सकें !
थोड़े ही दिनों के पश्यात हमने अपनी मंजिल पा ली ! हमारे गुरुदेब द्रोणाचार्य “प्रो ० रत्नेस्वर मिश्र “बन गए ! उनकी हरेक भंगिमाओं पर हमारी बकोदृष्टि लगी रहती थी ! कॉलेज में आना ,अपने स्टाफ और मित्रों से बात करना ,क्लास में पढ़ाना ,हमारे साथ खेलना ,अलग से पर्सनालिटी बिल्डिंग क्लास चलाना इत्यादि हमारे ह्रदय को छूती चली गयी !
हम उन्हें और उनकी निस्वार्थ सेवाओं को अपने में उतारने की चेष्टा करने लगे ! उनकी छवि को हमने अपने ह्रदय में वसा लिया और उनके पदचिन्हों पर चलते -चलते आज इस मुकाम तक आ पहुंचे हैं ! यह तो इस छोटे यंत्र का कमाल है जो हम अपने गुरुदेब को एकलव्य बनने का परिचय दे सके अन्यथा दर्शन होना दुर्लभ था !…..
सहस्त्रों और असंख्य बार आपको प्रणाम गुरुदेब ..हमें गर्व है ..हम आपके शिष्य हैं !
प्रणाम गुरुदेब !
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
दुमका
झारखंड
भारत

Language: Hindi
199 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बहुत कठिन है पिता होना
बहुत कठिन है पिता होना
Mohan Pandey
पढ़े लिखें परिंदे कैद हैं, माचिस से मकान में।
पढ़े लिखें परिंदे कैद हैं, माचिस से मकान में।
पूर्वार्थ
"अहसास"
Dr. Kishan tandon kranti
माँ
माँ
Harminder Kaur
पढ़ाई
पढ़ाई
Kanchan Alok Malu
हवस में पड़ा एक व्यभिचारी।
हवस में पड़ा एक व्यभिचारी।
Rj Anand Prajapati
2751. *पूर्णिका*
2751. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*इक क़ता*,,
*इक क़ता*,,
Neelofar Khan
ज़ब ज़ब जिंदगी समंदर मे गिरती है
ज़ब ज़ब जिंदगी समंदर मे गिरती है
शेखर सिंह
!! शब्द !!
!! शब्द !!
Akash Yadav
हिंदुस्तान के लाल
हिंदुस्तान के लाल
Aman Kumar Holy
Ishq ke panne par naam tera likh dia,
Ishq ke panne par naam tera likh dia,
Chinkey Jain
जिस रिश्ते में
जिस रिश्ते में
Chitra Bisht
Prima Facie
Prima Facie
AJAY AMITABH SUMAN
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
कवि रमेशराज
तुम
तुम
Rekha khichi
वादा
वादा
Bodhisatva kastooriya
शिवरात्रि
शिवरात्रि
Madhu Shah
*
*"बसंत पंचमी"*
Shashi kala vyas
तिरंगा
तिरंगा
लक्ष्मी सिंह
प्रेम का कोई रूप नहीं होता जब किसी की अनुभूति....
प्रेम का कोई रूप नहीं होता जब किसी की अनुभूति....
Ranjeet kumar patre
खुशियाँ हल्की होती हैं,
खुशियाँ हल्की होती हैं,
Meera Thakur
वैसे तो चाय पीने का मुझे कोई शौक नहीं
वैसे तो चाय पीने का मुझे कोई शौक नहीं
Sonam Puneet Dubey
बस एक कदम दूर थे
बस एक कदम दूर थे
'अशांत' शेखर
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
Abhijeet
मोहब्बत के बारे में तू कोई, अंदाजा मत लगा,
मोहब्बत के बारे में तू कोई, अंदाजा मत लगा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हम मोहब्बत में सिफारिश हर बार नहीं करते,
हम मोहब्बत में सिफारिश हर बार नहीं करते,
Phool gufran
■आज का ज्ञान■
■आज का ज्ञान■
*प्रणय*
Loading...