गुरुवर
गुरुवर ही इस सृष्टि, भव में
होते हमारे कल्याण करता
वो सदा चाहते नेकी हमारा
उनका मानस होता निर्मल ।
जनक जननी तो हमारे महज
सिखाते वचन निर्गत करना !
पर क्या वचन निर्गत करना
सिखाते पूज्यवर गुरु हमारे ।
जगत में अज्ञानता को दूर कर
करते प्रकाशमान पूर्ण भव को
इनका अवहेलना करने वाला
हस्त मल – मल के पछताता ।
गुरुवर ही हम शागिर्दों को
सिखाते ए-हयात को जीना
भागवतगीता में आचार्य को
बताया गया हरि से सर्वोपरि ।
गुरुवरों का करना आदर
यही हमारा मूल कर्तव्य ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार