गुरुजन के चरणों में
जिन चरणों में सीखा मैने,
निज को तज,
परोपकार करना।
दया, करुणा ममता, प्रेम,
धर्म कर्म को स्वीकार करना।
आंखों में बड़े ख़्वाब पालना,
और छोटे कदमों से उन्हें साकार करना।
उन्हीं चरणों को है समर्पित,
हे गुरुजन! मेरा नमन स्वीकार करना।