गुमान किस बात का
कौन खूबसूरत नहीं है यहाँ
उसने सबको अपने हाथों से बनाया है
थोड़ा रंग, थोड़े हाव भाव है अलग
यही तो मेरे प्रभु की माया है
रचा है संपूर्ण सृष्टि को उसने
है कहीं धूप, तो कहीं छाया है
है फिर गुमान किस बात का तुमको
वही तो तुमको जहां में लाया है
जो है पास तेरे, है वो तेरा नहीं
यहां किसी का स्थाई बसेरा नहीं
आज सब ठीक है, नहीं जानता कोई
जाने कब देख पाएगा सवेरा नहीं
है कोई अमीर यहां, जान ले मगर
दुनिया छोड़नी है उसको भी एक दिन
रह जाएगा उसका भी सबकुछ यहीं
जाएगा वो भी कुछ लेकर नहीं
रूप भी तेरा है पलभर के लिए
ये जवानी रहेगी नहीं हमेशा के लिए
दिया है ईश्वर ने तुम्हें ये रूप रंग
फिर करता है गुमान इसपर किस बात के लिए।