गुमानी बाबाक बोंगपाद पोता (हास्य कटाक्ष)
गुमानी बाबाक बोंगपाद पोता
( हास्य कटाक्ष )
गुमानी बाबा अपने ताले गरजैत, बोंगपाद पोता सं पूछलाह कह त हमरा कोनो चिज के कम्मी? हँ में हँ मिलबैत बोंगपाद बाजल से त ठिक्के औ बाबा एकदम भरल- पूरल बखारी.
हें हें करैत खिखायत बाबा बाजल, कह त हम चारू पहर महादेव के ओगरने छी, एतेक संसकारित भ नीपढूआ सब के नज़रि में अपनेमनो हम महान भेल राज क्य रहल? महादेबक कृपा सं आर की चाही?
पोता बाजल हँ औ बाबा आब त अहूँक अवस्था भेल जा रहल त हमरो ई महान हेबाक विद्या सिखा दिए बरू. ताबैत बिच बिच में लोक अबैत जाइत रहल गुमानी बाबा केर महीमागान आ हुनक महान परम्परा में डुभकी.
बाबा अपना पोता के सिखायबे लगलाह देख पोता हरदम बेसी बूझबाक दाबी, अनकर दोख, संसकारित हेबाक ढ़ोंग आ तोता रटन्त में सब सं आगु रहैये आ लोक के भ्रम में रखने रहैये. ओंनहियो बेसी भाग नीपढे अछि त ई सब एही ठकबाज बेबस्था के की बूझत? फेर सबटा बखारी तोरे रहतौ.बोंगपाद पोता गुमानी बाबाक कहनामे ओही सब विद्या के अजमाबै लागल आ आन कोनो काज सिखबाक पर्योजन नै केलक. आस्ते आस्ते दुनु बाबा पोताक कीरदानी सं अबगत होमै लागल. कियो विरोध करै आ कतेको हँ में हँ सेहो मिलाबै.
बाबा पोता बेसी भाग लोक के आपसे में लड़ा-भीढा के रखै, जे लोक बंटल रहै आ हम्मर बखारी भरैत रहै. कहांदिन कहियो बड्ड बरखा होमै लागल, बड्ड बाढ़ि अयले, चारू तरफ परलय. लोक कहुना के अप्पन जान बांचेबाक चेष्टा केलक. बाबा पोता सेहो चेष्टा केलक मुदा बाढ़िक तेज आवेग में बाबा पोता केर गुमान आ फूँसियाहिक बखारी भसिया गेल.
कथाकार © किशन कारीगर ( सर्वाधिकार सुरक्षित)