गुमशुदा
गुमशुदा
गुमशुदा मनुष्य मूल्य गुमशुदा विचार है।
सत्य भाव गुमशुदा असत्य का प्रचार है।
झूठ पंथ वंदनीय झूठ की गुहार है।
गूँजती दरिद्र वृत्ति झूठ की पुकार है।
भारतीय धर्म रथ विलीन आज दीखता।
जालसाज काम को मनुष्य आज सीखता।
गुमशुदा मनुष्य की तलाश आज कीजिए।
प्राच्य रत्न खोज का प्रयास आज कीजिए।
तत्व ज्ञान -प्रेम -भक्ति आज लुप्त हो रहे।
नम्रता विनम्रता समत्व योग सो रहे।।
गुमशुदा मनुष्यता निरीह शिष्ट कर्म है।
चल रहा कुचक्र आज बढ़ रहा अधर्म है।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।