गुमशुदा
ये हाय हेलो का मौसम, ये तकल्लुफ से भरी बातें
बेजान से इस शहर में ,जिन्दादिली सजा है
ये लिपे पुते से चेहरे, ये थकी थकी निगाहें
रौनक है बस सतह पर , अंदर धुँआ धुँआ है
फीकी हंसी बिखेरती, खामोश सी एक भीड़
ये बेवजह उठे कदम, जमीन से जुदा हैं
पूछा जो रास्तों से, वो लोग अब कहाँ हैं
हँस कर जवाब आया, जीने में गुमशुदा हैं