गुमशुदा हैं कौन मुझमें
गुमशुदा हैं कौन मुझमें
महसूस करती हूँ,खुद को तुझमें
सच हैं या, हैं सरासर झूठ कोई
खबर करती,हवाएँ मुझे सूद में
न बात,न हुई मुलाकात तुमसे कोई
शक हैं सबको,खुद उनकी जिद में
कैसे यकीन दिलाएगी “रेखा ” तू
जो घिरे बैठे हैं, भ्रम के सिद में
रेखा “कमलेश ”
होशंगाबाद मप्र