गुमनाम गीतकार
के गाई अब गीत हमार
कबीरा भईल मीत हमार!
तहरा ले कबो ना पहुंची
शायद अब ई प्रीत हमार!!
हमरा पास काम ना होई
बेफिक्री के शाम ना होई!
मुफलिसी-गुमनामी में
जीवन जायी बीत हमार!!
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