गुफ्तगू की अहमियत , अब क्या ख़ाक होगी ।
गुफ्तगू की अहमियत , अब क्या ख़ाक होगी । अब तो सेहरा में आ गए , लगता है! मेरी बात होगी। जनाब सिलसिला ए इश्क है; ये चलता रहेगा।
गुफ्तगू की अहमियत , अब क्या ख़ाक होगी । अब तो सेहरा में आ गए , लगता है! मेरी बात होगी। जनाब सिलसिला ए इश्क है; ये चलता रहेगा।