गुफ़्तगू का ढंग आना चाहिए
गुफ़्तगू का ढंग आना चाहिए,
और लहजा शायराना चाहिए।।
जिस किसी को रास्ते की हो समझ,
हमसफ़र उसको बनाना चाहिए।।
कौन क्या कहता है ये छोड़ो मियाँ,
है सही क्या, ये बताना चाहिए।।
इससे पहले के फ़ना हो हौसला,
मुश्किलों से पार पाना चाहिए।।
मौत से आँखें मिलाकर हर घड़ी,
ज़िन्दगी को गुनगुनाना चाहिए।।
बेतुकी जो बात करते हैं उन्हें,
बात करने का बहाना चाहिए।।
“अश्क” ले जब कोई अपना इम्तिहान,
जीतकर भी हार जाना चाहिए।।
© अश्क चिरैयाकोटी