Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Sep 2024 · 3 min read

#गुप्त जी की जीवनी

#नमन मंच
#विषय गुप्त जी की जीवनी
#शीर्षक जीवन दर्शन से शिक्षा
#दिनांक १६/९/२०२४
विद्या लेख
आदरणीय सियारामरामशरण गुप्त जी पर लिखी किताब पर आधारित,

राधे राधे भाई बहनों
हर रोज की तरह आज फिर किसी साहित्यकार महापुरुष के जीवन वृतांत पर प्रकाश डालने की कोशिश करते हैं, हिंदी साहित्य जगत में उनका क्या योगदान है, क्या उनकी उपलब्धियां है इसको भी समझने की कोशिश करते हैं,आज जिस साहित्यकार महापुरुष की हम चर्चा कर रहे हैं वह किसी पहचान के मोहताज नहीं !

‘आदरणीय सियारामशरण गुप्त जी’

आदरणीय गुप्त जी का जन्म ०४/०९/१८९५ को चिरगांव झांसी में हुआ था, इनकी माताजी का नाम श्रीमती अहिल्याबाई और इनके पिताजी का नाम रामचरण गुप्तजी था !

वैष्णव संस्कारों और गांधीवादी विचारों से इनके व्यक्तित्व का विकास हुआ, वैसे गुप्त जी स्वयं शिक्षित कवि व लेखक रहे, लेकिन उनकी काव्य कला पर उनके बड़े भाई मैथिली शरण गुप्त जी का प्रभाव साफ झलकता है, जिनकी साहित्य जगत में एक अलग ही पहचान है ! वैचारिक दृष्टि से भी गुप्त जी राष्ट्र प्रेम, विश्व शांति, हृदय परिवर्तनाद सत्य और अहिंसा के प्रचारक रहे !

उनकी भाषा शैली सहज सरल और मृदुल साहित्यकार की रही, आपने अपनी रचनाओं में व्यावहारिक शब्दावली पर जोर दिया,जिससे पाठक गण के साथ साथ साधारण जनमानस आपसे जुड़ता गया, आपने अपनी रचनाओं में हिंदी के साथ साथ अंग्रेजी गुजराती और उर्दू भाषा का प्रयोग भी किया !

गुप्त जी का पारिवारिक जीवन बड़ा ही दुखद रहा अपनी पत्नी और बच्चों के असमय निधन के कारण जीवन के सांसारिक सुखों से मोह भंग हो चुका था, इसी विरह वेदना ने उनको करुण कवि के रूप में ख्यात किया, उनकी कविताओं में श्रृंगार रस व हास्य रस का अभाव रहा !
आप बड़े ही गंभीर और दार्शनिक कवि थे,
गुप्त जी द्वारा रचित कविताओं में जनता की दरिद्रता, कुर्तियों के विरुद्ध आक्रोश, विश्व शांति जैसे विषयों पर लिखी उनकी कविताओं को ना चाहते हुए भी पाठक गण पढ़ने को मजबूर हो जाता है, आपने हिंदू धर्म के अनेक ग्रंथ और काव्यसंग्रह का अपने अंदाज में अनुवाद किया !

उनके प्रमुख रचना संग्रह इस प्रकार हैं,
खंड काव्य- अनाथ,आर्द्रा, विषाद, दूर्वा दल, बापू, सुनन्दा व गोपिका ! नाट्य में- पुण्य पर्व ! अनुवाद में- गीता संवाद ! कविता संग्रह में- अनुरूपा व अमृत पुत्र ! काव्य ग्रंथ में- दैनिकी नकुल, जय हिंद, पाथेय, आत्मोसर्ग ! उपन्यास में-अंतिम आकांक्षा, नारी और गोद ! निबंध संग्रह में- झूठ-सच, इत्यादि काव्य रचनाएं प्रमुख है ! 50 के लगभग उनके ग्रंथ रचे गए !

वैसे तो ऐसी महान विभूतियां किसी सम्मान की मोहताज नहीं होती, फिर भी इनको दीर्घकालीन हिंदी सेवाओं के लिए सन् १९६२ ईस्वी में ‘सरस्वती’ हीरक जयंती सम्मान से सम्मानित किया गया, सन् १९४१ ईस्वी में ‘सुधाकर पदक’ नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी द्वारा सम्मानित किया गया, और भी अनेकों सम्मान से इनको नवाजा गया !

निधन- लंबी बीमारी की वजह से सियारामशरण गुप्त जी का असमय निधन सन् २९/०४/१९६३ को हुआ था !
_______________________________

‘सारांश’
महापुरुषों के जीवन का अवलोकन करने से हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा पैदा होती है, समाज राष्ट्र और प्रकृति के प्रति कुछ करने का जज्बा पैदा होता है !
समाज राष्ट्र और प्रकृति के प्रति उनके समर्पण प्रेम को हम उनके जीवन दर्शन को पढ़कर ही हम उनके बारे में जान सकते हैं !
सियारामशरण गुप्त जी जैसे अनेकों कवि लेखक और विद्वान गण महापुरुष इस देश में पैदा हुए, सभी आत्मज्ञानी महापुरुषों ने मानव समाज को देश प्रेम प्रकृति प्रेम और मानवता की ही शिक्षा दी है !
अब यह हमारे विवेक पर है कि हम उनके जीवन दर्शन से कितना ज्ञान अर्जित कर पाते हैं !

इस विश्लेषण में त्रुटियां रह गई या सियारामशरण गुप्त जी की शान में कुछ गुस्ताखी हो गई हो तो छोटा भाई समझ कर क्षमा कर देना 🙏🙏🙏

अगले सप्ताह फिर किसी महापुरुष के जीवन चरित्र को लेकर उनके विषय पर चर्चा करेंगे !

“राम राम जी”
🙏🙏🙏

स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक
भीलवाड़ा राजस्थान

Language: Hindi
Tag: लेख
109 Views

You may also like these posts

जंग अहम की
जंग अहम की
Mamta Singh Devaa
संवेदना ही हमारी इन्सानियत है,
संवेदना ही हमारी इन्सानियत है,
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मैंने उसे मेरी जिंदगी का हिस्सा बनते देखा है।
मैंने उसे मेरी जिंदगी का हिस्सा बनते देखा है।
Kanchan Alok Malu
आने वाला कल
आने वाला कल
Dr. Upasana Pandey
कवनो गाड़ी तरे ई चले जिंदगी
कवनो गाड़ी तरे ई चले जिंदगी
आकाश महेशपुरी
बसंत पंचमी
बसंत पंचमी
Mukesh Kumar Sonkar
माॅं की कशमकश
माॅं की कशमकश
Harminder Kaur
आस का दीपक
आस का दीपक
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
हर रिश्ते को दीजिये,
हर रिश्ते को दीजिये,
sushil sarna
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
इजहारे मोहब्बत
इजहारे मोहब्बत
Vibha Jain
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
सत्य कुमार प्रेमी
"अजब-गजब मोहब्बतें"
Dr. Kishan tandon kranti
एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए पढ़ाई के सारे कोर्स करने से अच्छा
एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए पढ़ाई के सारे कोर्स करने से अच्छा
Dr. Man Mohan Krishna
*चोरी की सीखो कला, पढ़ो और के गीत (हास्य कुंडलिया)*
*चोरी की सीखो कला, पढ़ो और के गीत (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अगर आप समय के अनुसार नही चलकर शिक्षा को अपना मूल उद्देश्य नह
अगर आप समय के अनुसार नही चलकर शिक्षा को अपना मूल उद्देश्य नह
Shashi Dhar Kumar
फर्क़ है
फर्क़ है
SURYA PRAKASH SHARMA
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
मुक्ति
मुक्ति
Deepesh Dwivedi
कुछ निशां
कुछ निशां
Dr fauzia Naseem shad
मैं नाकाम सही
मैं नाकाम सही
Shekhar Chandra Mitra
नैन
नैन
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
मैं मजबूर हूँ
मैं मजबूर हूँ
सोनू हंस
स्याही की इक बूँद
स्याही की इक बूँद
Atul "Krishn"
श्याम दिलबर बना जब से
श्याम दिलबर बना जब से
Khaimsingh Saini
Hiện nay, cổng game Gemwin này đang thu hút sự quan tâm lớn
Hiện nay, cổng game Gemwin này đang thu hút sự quan tâm lớn
Gemwin
चलो
चलो
हिमांशु Kulshrestha
जीव-जगत आधार...
जीव-जगत आधार...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कभी आना जिंदगी
कभी आना जिंदगी
Vivek Pandey
पढ़ाकू
पढ़ाकू
Dr. Mulla Adam Ali
Loading...