गुनाहों का सज्जा क्या दु
तेरे गुनाह का सज्जा क्या दु
मैं तुम बेवफा को राजा क्या दु
तुम चली गई किस वजह से
दोस्त पूछ रहे मैं वजह क्या दु
तुम्हे बेवफा भी कहना आसान नहीं है
दिल पे बार किए हो शरीर पे कोई निशान नहीं
अरमान तो बहुत थे तुमने सब तोड़ दिय
मुझ अनजान को उडना सिखाए
और पर काट के छोड़ दिए
एक दिन तुम पछताएगी
वक्त की मर खायेगी
फिर लौट के मेरे पर आएगी