गुनगुनाने से रहे
जिन्दगी है कीमती यूँ ही लुटाने से रहे
हर किसी के गीत हम तो गुनगुनाने से रहे
पैर अंगद से जमे हैं सत्य की दहलीज पर
हो रही मुश्किल बहुत लेकिन हटाने से रहे
अर्जियाँ सब गुम गईं या फाइलों में कैद हैं ?
पूछता वह रोज है, साहब बताने से रहे
रोज नतमस्तक हुए हैं प्रेम के आगे, मगर
नफरतों के सामने तो सर झुकाने से रहे
चाहते हो यदि मुझे सुनना बजाओ तालियाँ
आपकी चाहत न हो तो हम सुनाने से रहे