गुडमोर्निंग वाया गुडमोर्निंग
शीर्षक – ‘गुडमोर्निंग वाया गुडमोर्निंग’
विधा – कहानी
परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. रघुनाथगढ़, सीकर राज.
पिन – 332027
मो. 9001321438
अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में एक महात्मा रहते थे। वे देखने में सीधे सरल और स्वभाव से विनम्र सौम्यता की मूर्ति दिखाई देते थे। किन्तु वास्तव में थे अक्खड़ और फक्कड़। कोई आदमी उनसे हालचाल पूछता तो वे कह देते ‘गुडमोर्निंग’, धीरे-धीरे वो गुडमोर्निंग बाबा के नाम से शहर के एक हिस्से में मशहूर हो गये। गुडमोर्निंग से ज्यादा वो कभी किसी से कुछ नहीं बोलते थे। मौन धारण किये रहते थे। पक्षियों को दाना पानी डालते समय भी बड़ी मधुर और हल्की स्पष्ट तीव्र आवाज में गुडमोर्निंग-गुडमोर्निंग बोलते जाते। पक्षीगण भी उनकी आवाज से परिचित ही नहीं मोहित भी हो गये।
एक बार संध्या को नगरनिगम के प्रमुख अधिकारीगण वहाँ से गुजर रहे थे तो जरा सी देर उस गुडमोर्निंग बाबा के पास खड़े होकर सुस्ताने लगे। बाबा ने उनको देखकर भी नहीं देखा। वो बाबा की तरफ चोर की नजर से देखने लगे। वो बाबा से कोई भी बातचीत करते या बात करते तब वो गुडमोर्निंग के सिवा कोई और शब्द नहीं बोलते। और कोई प्रतिक्रिया न देखकर बाबा से वो चिढ़ गये और चले गये। बाबा के साथ कभी-कभी मिस्टर अल्कोट दिख जाते थे। वो बाबा को नजदीकी से जानना चाहते थे। वो ह्यूमन जियोग्राफी और ह्यूमन साईकोलॉजी के प्रोफेसर थे। वो इनकी गुडमोर्निंग वाली आदत को जानना चाहते थे। लेकिन कुछ महिनें बीतने के बाद भी वो उनके मुख से गुडमोर्निंग के सिवा कुछ न सुन सके। वो संवाद भी किसी तरह से करते उनके साथ-साथ टहलते वो बात की चेष्टा करते तो भी वो हल्की सी मुस्कान होठों पर फैला देते।
मिस्टर अल्कोट थक गये। वो अपना सारा सामान समेटकर लौटने लगे। रात हो रही थी वो गुडमोर्निंग बाबा को देखने चले गये।
वो वहाँ जाकर देखते है कि हल्की रोशनी में बाबा लेटे थे एक प्रौढ़ युवक उनके पास आया वो बोला ‘गुडमोर्निंग’ बाबा ने भी बोला गुडमोर्निंग!
गुडमोर्निंग बोलने के बाद वो युवक बोला ‘ बाबा अब जिंदगी में जो अजनबीपन और नकारात्मक प्रभाव था उसका असर नहीं रहा। शरीर हल्का और मस्तिष्क शांत रहने लग गया।
कुछ क्षण बाद बाबा बोले ‘गुडमोर्निंग’ एक चेतना है।
मिस्टर अल्कोट दंग रह गये। वो सोचने लगे जब वो बोल सकते है तो दुनिया के साथ न बोलने का स्वांग क्यों रचते है। अब उनसे रहा न गया।
वो सीधे बाबा के सम्मुख चले गये और बाबा से बोले जब आप इतना बोल ही गये तो मैं जानने को कब से उत्सुक आप गुडमोर्निंग से सिवा कुछ भी क्यों नहीं बोलते?
वो चुप हो गये कुछ भी नहीं बोले। एक लम्बी गहरी साँस लेकर वो बोले – ‘चलो आओं मेरे साथ’
वो एक अंधेरी कोटड़ी में लेकर चले गये।
वहाँ उन्होंने एक पोटली खोली। पोटली में से एक पत्र निकाला बोले ये लो।
ये क्या है बाबा!
बोले ये पत्नी का पत्र है।
इसमें क्या है ?
तुम्हारे सारे सवालों के जवाब है इसमें।
आप ही बता दो बाबा मुझे पत्र का नहीं आपका रहस्य जानना है?
पत्र का रहस्य ही मेरा है। मैं पत्र के रहस्य का प्रयोज्य हूँ। ये रहस्य ही मेरा जीवन है।
मैं कुछ नहीं समझा। आप सब उद्घाटित करे बाबा!
मेरा विवाह एक सॉइकोलॉजिस्ट से हुआ। मेरी पत्नी का नाम ‘कैरी’ था। वो मुझे कहती ‘डिसू’ सृष्टि में जो कुछ है उसको मनुष्य अपनी स्वाभाविक प्राकृतिक शारीरिक ऊर्जा से प्राप्त कर सकता है।
वो मुझे अक्सर गुडमोर्निंग ही बोलती और कुछ नहीं कहती। मैं उनसे पूछता तो वो बोलती मरने से पहले सब कुछ बता दूँगी।
एक दिन वो परलोक सिधार गई। उसने अपनी डायरी में ये पत्र मेरे लिए छोड़ गई।
पत्र में क्या है बाबा?
उसने लिखा था कि “संसार को हम जिस स्थिति और विचार से देखते है वो सत्य भी हो सकता है और नहीं भी। संसार में रात नहीं होती। कहीं न कहीं दिन रहता ही है। गुडनाईट कहने से शरीर की सारी चेतना लुप्तप्राय हो जाती है और शरीर में शिथिलता आ जाती है। गुडमोर्निंग नये दिन के विकास का सूचक ही नहीं नई सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। गुडमोर्निंग कहने से जो ऊर्जा मिलती है वो गुडनाइट में नहीं है।
जो भी शब्द ईश्वर के है उन शब्दों में सकरात्मक ऊर्जा है वहीं ऊर्जा गुडमोर्निंग में भी है। गुडमोर्निंग शब्द आज के युग का ईश वंदन शब्द है। ध्यानयोग में गुडमोर्निंग का उच्चारण करने सी नई स्फूर्ति पैदा होती है। शरीर में ऊर्जाओं का संचयन होता है। गुडमोर्निंग ईश्वर का नया सकारात्मक शब्द है। इसका महत्व तब समझ में आयेगा जब इसे अपना जीवन मंत्र बनाओगे। “