गुटुरगुं
गुटुरगुं करता हैं रोज़ आकर एक कबुतर मेरी छत की मुंडेर पर.!
लगता हैं शायद वो कोई पैगाम लाता हैं मेरे किसी खास का.!
~अनूप एस.
गुटुरगुं करता हैं रोज़ आकर एक कबुतर मेरी छत की मुंडेर पर.!
लगता हैं शायद वो कोई पैगाम लाता हैं मेरे किसी खास का.!
~अनूप एस.