गुजारिश…
मैं गुजारिश करूँ इक रहम मुझपे कर
तू ख्यालों में बन जा मेरा हमसफ़र
तुझपे आकर टिकी है मेरी अब नजर
साथ में तू मेरे फिर रहे उम्र भर
राह देखूँ मैं तेरी अब चारो पहर
तू नहीं है तो होने लगा है कहर
इन हवाओं में भी घुल गया है जहर
अंधेरों में गुम हो गया है शहर
मैं गुजारिश…
तू ख्यालों में…