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21 Mar 2020 · 1 min read

गुज़रे ज़माने को याद न करें

गुज़रे हुए ज़माने को याद न करें
दिल की दुनिया में परवाज़ न करें
कोई क्या समझेगा यारों हमें तुम्हें
इन आंसुओ को यूं आज़ाद न करें
खैरियत पूछने के बहाने ऐ लोगों
दिली तमन्नाओ को हलाक न करें
सच पे शिकायत बड़ी जबरदस्त है
जुबान करे बंद कोई बात न करें
सरेआम उठा दिया महफ़िल से” नूरी”
खत्म करें एसी गुफ्तगू आज न करें

नूरफातिमा खातून “नूरी”
२१/३/२०२०

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