गुजरे लम्हे सुनो बहुत सुहाने थे
गुजरे लम्हे सुनो बहुत सुहाने थे
कुछ हकीकत हैं कुछ फसाने थे
गुजरे लम्हे……………
याद करके खो से जाते हैं कहीं
वो खुशनुमां जिंदगी के तराने थे
गुजरे लम्हे……………
याद आएंगी मुलाकातें हर घड़ी
वो भी क्या खुबसूरत जमाने थे
गुजरे लम्हे..………….
याद है आज तक अहसास वही
वो तुमसे मिलने के जो बहाने थे
गुजरे लम्हे……………
याद जगने दे “विनोद” लम्हों की
वो जलता दीपक हम परवाने थे
गुजरे लम्हे……………
स्वरचित:——–
( विनोद चौहान )