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30 Jun 2021 · 1 min read

गुजरे पल की यादें—-

गुजरे पल याद आते हैं वो,
जब हम संग में होते थे
मुलाकातों की यादें ताज़ी थीं,
हृदय में आशाओं की शहजादी थी
झुकी नजरें ; मुस्कान मधुर,
भ्रमर को परागपान की अभिलाषा थी।

अधरों पर अधरों का मधुर स्पर्श,
थे वो बड़े मनोहर पल
तलाश है फिर से वो वक्त,
आएंगे कब वो गुजरे पल।

कोमल-कोमल कुसुमित काया,
आकर्षक वो कपोल का डिम्पल
संग भ्रमण और संग रमण,
के दिन बहुत सताते हैं।

दिवास्वप्न की भांति भी हम,
अनोखे ख्वाब सजाते थे
सौन्दर्य का तेरे झलक मिले,
निशास्वप्न में आते थे।

मिटी दूरियां, है पास नजदीकियां
आई मनोरम मधुयामिनी की बेला
रमणीय हो, यह पावन संगम
लगाएं मिलकर स्नेह का मेला।

–सुनील कुमार

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 723 Views
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