गुजरा पिछला साल *(गीत)*
गुजरा पिछला साल (गीत)
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बुरा नहीं था सच पूछो तो ,गुजरा पिछला साल
( 1 )
मितव्ययिता से कैसे जीते , इसने हमें बताया
बिना दिखावे के जीने का ,सच्चा मार्ग सुझाया
तड़क-भड़क पर पाबंदी ,इसने ही हमें सिखाई
कम पैसों में शादी करना , इसी साल हो पाई
सीधे – सादे कपड़े सबके ,सीधी – सादी चाल
( 2 )
पूजा-गृह सब भले बंद थे ,मन में पूजा करते
नश्वर काया जान-जान कर ,मरने से सब डरते
सबको यह था ज्ञात काल को ,डँसना हमको आता
सभी जान यह गए काल है ,क्षण-भर में ले जाता
पहली बार सभी ने देखा ,रूप काल-विकराल
( 3 )
हवा साफ हो गई बताओ ,कब थे पहले कहते
पहले किसने कब देखी थी ,नदी स्वच्छ हो बहते
पर्वत पहली बार दूर के ,दिखने में थे आए
मछली पक्षी पशुओं तक ने ,मधुर गीत थे गाए
असली में हर शहर हुआ था ,मानो नैनीताल
बुरा नहीं था सच पूछो तो ,गुजरा पिछला साल
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451