गुजरात के साणंद की हिंदुस्तान कोकाकोला फेक्ट्री में महिलाएं भी कुशलतापूर्वक अपनी पहचान बनाने में कामयाब
जी हां पाठकों, यह जानकारी जैसे ही मैंने पढ़ी, तो मैंने आप लोगों के समक्ष शेयर करना जरूरी समझा । यह जानकारी है ही ऐसी कि जिसे जानने के पश्चात आप भी आश्चर्यचकित अवश्य होंगे ।
चलिए शुरू करते हैं , काम की जगह स्त्री-पुरुष में समानता लाने की मुहिम दुनियाभर में चल रही है । इस कारण से कई कंपनियों में महिला कर्मचारियों की नियुक्ति में बढ़ोतरी भी हुई है । हालांकि; अभी भी अधिकतर जगह महिलाओं को एकाउंटेंसी और एचआर जैसे विभागों में नियुक्त किया जाता है ।
लेकिन अभी हाल ही में एक विशेष जानकारी ज्ञात हुई है कि गुजरात के साणंद में स्थित हिंदुस्तान कोकाकोला बेवरेज (एससीबी) फेक्ट्री इस मामले में अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हुई है । इस फेक्ट्री मे 10 में से 4 कर्मचारी, यानी 40फीसदी महिलाएं कार्यरत हैं ।
फेक्ट्री का कोई भी काम ऐसा नहीं है जो महिलाएं पूर्ण ना करतीं हों । इसमें भारी मशीनें ऑपरेट करना, लोडिंग-अनलोडिंग करना, कोल्डड्रिंक तैयार करने के लिए सिरप बनाना और प्लांंट ऑनर की भूमिका निभाना भी शामिल है । यहां काम कर रहे अधिकतर कर्मचारियों की नियुक्ति प्लांट शुरू होने के पूर्व ही कर ली गई । इसीलिए प्रत्येक कर्मचारियों को हर तरह का प्रशिक्षण दिया गया ।
इस प्लांट में 34 महिलाएं सफलता पूर्वक काम कर रही हैं । इन्हीं में से एक है, सिमरन । वे फोर्कलिफ्ट ऑपरेट करती हैं । आठ घंटे की शिफ्ट में एक-एक टन के लोडों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना होता है । सिमरन ने 12वी उत्तीर्ण करने के बाद आईटीआई कोर्स में प्रवेश लिया था । वहीं से इस प्लांट के लिए उनका प्लेसमेंट हुआ । उन्हें यह काम ज्वाईन करने के लिए अपने परिवार को मनाने में काफी मुश्किल हुई थी । परिवारवालों का भी मानना था कि यह काम तो पुरुषों का है । सिमरन ने तीन महीने में प्रशिक्षण पूर्ण कर लिया और सभी ड्राइविंग टेस्ट भी उत्तीर्ण कर लिए । “सिमरन को पूर्ण रूप से उम्मीद है कि उन्हें देखकर और भी लड़कियां भारी मशीनें को ऑपरेट करने के लिए आगे आएंगी “।
21 वर्ष की विनीता माइयात्रा इस प्लांंट में सिरप तैयार करने और उसकी पूर्ण रूप से देखरेख करतीं हैं । उन्होंने भरूच पोलिटेनिक से केमिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है । विनीता ने बताया ” इस तरह की बड़ी फेक्ट्री में काम करना हमेशा से ही उनका सपना रहा था । इस फेक्ट्री की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां महिलाओं की कोई कमी नहीं है । जब वे केमिकल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा कोर्स कर रहीं थीं, तो 120 छात्रों में सिर्फ तीन लड़कियां थीं” ।
सुप्रिया गुप्ता यहां प्लांट ऑनर का काम देखती हैं । उनकी जिम्मेदारी कोल्डड्रिंक के सिरप की गुणवत्ता बरकरार रखना है ।
इसी तरह 24 वर्ष की किंजल मेहता अलग-अलग मशीनों को ऑपरेट करने का काम करती हैं । उनके पास गुजरात यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग का डिप्लोमा है । उन्हें कंपनी के विजयवाड़ा प्लांट में तीन महीने के प्रशिक्षण के दौरान हर तरह की मशीनों को ऑपरेट करना सिखाया गया था ।
फेक्ट्री मैनेजर श्री गिरीश चाबलानी ने बताया कि जब यह प्लांट शुरू करने की योजना बनाई गई, तभी फैसला लिया गया कि यहां पुरुष और महिला कर्मचारियों की संख्या बराबर होगी ।
“लड़कियों के परिवारवालों को मनाने भी जाते हैं, फेक्ट्री के अधिकारी”
मैनेजर ने बताया कि कई बार लड़कियों की नियुक्ति करने की प्रक्रिया में सबसे बड़ी चुनौती उनके परिवारजनों को मनाने की होती है । इसके लिए फेक्ट्री के अधिकारी लड़कियों के घर जाकर उनके माता-पिता से बात करते हैं । यहां काम तीन शिफ्टों में होता है, लिहाजा घरवालों को पूर्ण रूप से सकारात्मक सोच के साथ सुरक्षा व्यवस्था का आश्वासन भी दिया जाता है । फेक्ट्री की खासियत यह है कि यहां सिक्योरिटी गार्ड के पद पर भी बड़ी संख्या में महिलाएं ही कार्यरत हैं । जिन लड़कियों को नाइट शिफ्ट में काम करना होता है, उन्हें घर से लाने और छोड़ने के लिए गाड़ी की व्यवस्था भी की जाती है । और तो और फोन करके यह जानकारी भी ली जाती है कि वे सकुशल घर पहुंची या नहीं ।
मैनेजर ने बताया कि अभी हम 6:4 के अनुपात में पहुंचे हैं । भविष्य में इसे 5:5 किया जाएगा ।
माणंद की अन्य कंपनियों में महिलाओं का औसतन 10% है । वहीं, कोकाकोला में भी दुनियाभर में 24% महिलाएं कार्यरत हैं । फेक्ट्री के अधिकारी टैलेंट हंट के लिए गुजरात के स्कूलों, विश्वविद्यालयों और यूनिवर्सिटी में जाते रहते हैं । ये न सिर्फ महिलाओं की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रहें हैं, “बल्कि उनकी कोशिश उन्हें काम करने के बराबर अवसर भी देना होता है” ।
फिर देखा आपने ऐसी सकारात्मक सोच रखते हुए यदि इस फेक्ट्री की ही तरह हर कार्यान्वित संस्थाएं एवं कार्यालयों में भी महिलाओं को उनकी योग्यता के अनुसार कार्य करने के अवसर प्रदान किए जाएं, तो वे किसी भी क्षेत्र में अपनी सेवाएं देने में कामयाब हो सकतीं हैं ।
इसके लिए जरूरत होती है, घरवालों के पूर्ण रूप से सकारात्मक सोच के साथ सहयोग करने की और साथ ही जिस भी कंपनी या संगठन या संस्थान में, जहां वे कार्यरत हैं तो वहां के उच्चधाकारियों को भी पूर्ण रूप से सहयोग करने की ।
वर्तमान समय में नारी आज उस मुकाम पर पहुंच गई है,” जहां उसे बेहतर अवसर उपलब्ध कराए जाएं तो मुझे पूर्ण विश्वास है कि वह उस मुकाम में अवश्य ही सफलता हासिल करेगी” ।
तो पाठकों देखा आपने, आजकल फेक्ट्री में भी महिलाओं को कार्य करने के लिए अवसर प्रदान किए जाते हैं, जो हमारे देश के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल कायम रखने में सहायक सिद्ध हुआ है ।
धन्यवाद आपका ।