“गुजरात का चुनावी संग्राम “
“गुजरात चुनाव ने भी क्या धमाल मचाया है ,
हिन्दू बनने के लिए पूरा हुजूम उतर आया है !
कहते तो खुद को ये निरपेक्ष हैं ,
पर रामसेतु के अस्तित्व को मानने से इन्हे परहेज है !
कहते हैं सत्ता में आये तो देश का विकास करेंगे ,
पर चुनावी सभा में आरक्षण पर ही बोलेंगे !
अरे सत्तर साल तक तुम ही तो सत्ता में थे ,
पर तुम तो घोटालों और बटवारों में लिप्त थे ,
देश का पैसा तो स्विस बैंक में भरने में व्यस्त थे ,
गाँधी का नाम जोड़के बस तुम मूर्ख बना सकते थे !
तब समय कुछ और था जनाब आज कुछ और है ,
देश का झुकाव अब विकास की ओर है !
अब न मंदिर काम आएगा न मस्जिद काम आएगी ,
देखते जाओ जनता तुम्हे आईना जरूर दिखाएगी !
तुम्हारे लिए विकास कभी मुद्दा ही नहीं था ,
सत्ता में बने रहना ही तुम्हारा उद्देश्य था !
यदि तुम्हे परिवारवाद से प्यार न होता तो ,
देश का प्रधानमत्री नेहरू नहीं पटेल होता !
तब न कश्मीर का विवाद होता ,
न ही पाकिस्तान का नामोनिशान होता !
वर्तमान भारत जिन्ना और नेहरू की राजनीती थी ,
पर भविष्य का भारत नरेंद्र मोदी की नीति होगी !
विकास हुआ है और आगे भी होगा ,
पर कांगेसियों के हाथों देश का दोहन न होगा !”