गुजरते हुए साल ने इस बार
गुजरते हुए साल ने इस बार
कहर ठंड का बहुत बरपाया,
रात मर गया जो कपड़े बिना
सुबह नया साल उसे ओढ़ाया।
फोटो एक नहीं सैकड़ों ले लीजिए
हाथ में गरीब के कम्बल रख दीजिए
सर्द मौसम है हवाएं भी जानलेवा है
भला दोनों का हो ऐसा काम कीजिए।
अलाव जले तो,जहां बस्तियां ना थीं
डूबते रहे लोग वहां कश्तियां ना थीं,
सफर हर एक रात का मुश्किल हुआ
कहर ठंड का और पेट में रोटियां ना थीं।