Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Feb 2017 · 1 min read

गुंजाइश

तू साथ है तो ज़िन्दगी भी ख्वाइश है
वरना ये महफिल तो एक नुमाइश है

कैसे इशारों इशारों में होतीं हैं गुफ्तगू
हमारी मोहब्ब्त की ये बस पैमाइश है

एक आलिंगन एक चुम्बन एक गज़ल
वस्ले शब् में सिर्फ इतनी फरमाइश है

नशीली ये नज़र है या नशा होंठों का
तेरे हुस्न में अजब एक आशनाइश है

इस कदर खफा है यह ज़िन्दगी हमसे
यह भी हमारी मोहब्ब्ते-आज़माइश है

सोचा नहीं के इतना बदलेगा ‘मिलन’
तुझे मनाने में ही इश्क-ऐ-गुंजाइश है !!

276 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कितने बड़े हैवान हो तुम
कितने बड़े हैवान हो तुम
मानक लाल मनु
मैं भी आज किसी से प्यार में हूँ
मैं भी आज किसी से प्यार में हूँ
VINOD CHAUHAN
उस रात .....
उस रात .....
sushil sarna
2753. *पूर्णिका*
2753. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जय माता दी
जय माता दी
Raju Gajbhiye
घड़ी घड़ी ये घड़ी
घड़ी घड़ी ये घड़ी
Satish Srijan
किताबें
किताबें
Dr. Pradeep Kumar Sharma
एक शे'र
एक शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
जल सिंधु नहीं तुम शब्द सिंधु हो।
जल सिंधु नहीं तुम शब्द सिंधु हो।
कार्तिक नितिन शर्मा
प्रकृति
प्रकृति
लक्ष्मी सिंह
श्रद्धावान बनें हम लेकिन, रहें अंधश्रद्धा से दूर।
श्रद्धावान बनें हम लेकिन, रहें अंधश्रद्धा से दूर।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
*हिंदी दिवस मनावन का  मिला नेक ईनाम*
*हिंदी दिवस मनावन का मिला नेक ईनाम*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मैं चाहती हूँ
मैं चाहती हूँ
ruby kumari
কি?
কি?
Otteri Selvakumar
कुश्ती दंगल
कुश्ती दंगल
मनोज कर्ण
आप जरा सा समझिए साहब
आप जरा सा समझिए साहब
शेखर सिंह
अपने मन के भाव में।
अपने मन के भाव में।
Vedha Singh
Only attraction
Only attraction
Bidyadhar Mantry
नया  साल  नई  उमंग
नया साल नई उमंग
राजेंद्र तिवारी
चाय पार्टी
चाय पार्टी
Sidhartha Mishra
मिट्टी का बदन हो गया है
मिट्टी का बदन हो गया है
Surinder blackpen
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*Author प्रणय प्रभात*
हमें सलीका न आया।
हमें सलीका न आया।
Taj Mohammad
रमेशराज के बालगीत
रमेशराज के बालगीत
कवि रमेशराज
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"कुछ भी असम्भव नहीं"
Dr. Kishan tandon kranti
जिन्दगी कभी नाराज होती है,
जिन्दगी कभी नाराज होती है,
Ragini Kumari
पिघलता चाँद ( 8 of 25 )
पिघलता चाँद ( 8 of 25 )
Kshma Urmila
Humiliation
Humiliation
AJAY AMITABH SUMAN
Loading...