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13 Feb 2017 · 1 min read

गुंजाइश

तू साथ है तो ज़िन्दगी भी ख्वाइश है
वरना ये महफिल तो एक नुमाइश है

कैसे इशारों इशारों में होतीं हैं गुफ्तगू
हमारी मोहब्ब्त की ये बस पैमाइश है

एक आलिंगन एक चुम्बन एक गज़ल
वस्ले शब् में सिर्फ इतनी फरमाइश है

नशीली ये नज़र है या नशा होंठों का
तेरे हुस्न में अजब एक आशनाइश है

इस कदर खफा है यह ज़िन्दगी हमसे
यह भी हमारी मोहब्ब्ते-आज़माइश है

सोचा नहीं के इतना बदलेगा ‘मिलन’
तुझे मनाने में ही इश्क-ऐ-गुंजाइश है !!

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