गुंजाइश
तू साथ है तो ज़िन्दगी भी ख्वाइश है
वरना ये महफिल तो एक नुमाइश है
कैसे इशारों इशारों में होतीं हैं गुफ्तगू
हमारी मोहब्ब्त की ये बस पैमाइश है
एक आलिंगन एक चुम्बन एक गज़ल
वस्ले शब् में सिर्फ इतनी फरमाइश है
नशीली ये नज़र है या नशा होंठों का
तेरे हुस्न में अजब एक आशनाइश है
इस कदर खफा है यह ज़िन्दगी हमसे
यह भी हमारी मोहब्ब्ते-आज़माइश है
सोचा नहीं के इतना बदलेगा ‘मिलन’
तुझे मनाने में ही इश्क-ऐ-गुंजाइश है !!