गुंजती है आवाज़
वर्षा कि पानी में,
हवाओं कि सनसनाहट में,
गुंजती है आवाज़ तेरी सनम,
मेरे दिल कि धडकन में।
फूलों कि खुशबू में,
पत्तों कि झनझनाहट में,
गुंजती है आवाज़ तेरी सनम,
मेरे बालियों के टनकन में।
तारों कि टिमटिमाहट में,
चांद कि चांदनी में,
रहते हो तुम सनम,
मेरे पलकों के छांव में।
नदियां के लहरों में,
पानी कि फुहारों में,
गुंजती है शब्द तेरे सनम,
मेरे चूड़ियों के खनखन में ।