खुशियां नव वर्ष की
न्यू ईयर नजदीक
साल दो हजार उन्नीस
बच्चे बूढे नौजवां
पायें सभी आशीष ।
कि हंसी खुशी मे बीते साल
रह जाये ना कोई मलाल
सब की मुरादें पूरी हों
जो जीवन मे जरूरी हों ।
मधुर वचन कविता सी वांणी
भूखें को भोजन प्यासे को पानी
मिल जाये घर भी रहने को
कमी न हो कुछ भी कहने को।
स्वस्थ रहें सब रहें निरोग
ना हो पीडा ना हो रोग
मिले प्रेरणा अच्छा करने की
भारत मां को स्वच्छ रखने की।
मिलजुल सब साथ रहे
सुख दुःख सब साथ सहें
क्या रखा बमऔर गोली मे
संदेश छपे मन की “काव्य रंगोली” मे।
पर्यावरण का ध्यान रखें हम
धन की बर्बादी बंद करें हम
न्यू ईयर मे सेवा दें तब
निर्धन मे खुशियां पंहुचे सब ।
दिन मुस्किल मे बीता हो
परिवार भूखें मे जीता हो
इस जश्न का अर्थ उसको बतलाओ
कुछ कर सको तो कर दिखलाओ।
अपनी खुशी पहुंचाओ उनकी खोली तक
तब खुशियां पहुचेंगीं मन की”काव्य रंगोली” तक ।
…..पंकज पाण्डेय…..