गीत
छुअन के भाग्य में बाकी हृदय और गात रहने दो।
अभी कुछ दिन हमारे पास, ये अधिकार रहने दो।
हमारे मन की वृद्धा को सहारा हैं तुम्हारे कर।
हृदय मंदिर के आसन पर तुम्हीं माधव, तुम्हीं शंकर।
तुम्हीं तो मेघ हो जिसने बचाई आस धरती की
तुम्हारे साथ ही तो रह रही उम्मीद सज धजकर।
अभी कम्पित करों में लकुटि से निज हाथ रहने दो।
अभी कुछ दिन हमारे पास, ये अधिकार रहने दो।
समय के साथ छूटे जा रहें हैं शेष सारे पल
कठिन संभाव्य से सहमा किसी शिशु सा सरीखा मन
अभी तक उर तुम्हारे हूं लगी रुद्राक्ष माला सी,
सुशोभित वक्ष पर होगी कनक जंजीर लेकिन कल।
मगर तब तक सुवासित श्वांस से ये श्वांस रहने दो
अभी कुछ दिन हमारे पास, ये अधिकार रहने दो।
गुजारा जा चुका जो प्रेम में, हर पल हमारा है।
स्मृतियों में सहेजा है जिसे वो धन हमारा है।
तुम्हारा घर, तुम्हारा तन, तुम्हारा कक्ष और आंगन
किसी का हो भले लेकिन, तुम्हारा मन हमारा है।
सभी कुछ छिन रहा है, बस यही आभास रहने दो
अभी कुछ दिन हमारे पास, ये अधिकार रहने दो।
© शिवा अवस्थी