गीत
गीत
हृदय के स्पंदन में एक तान सुनाई देती है
एक सुनहरी छवि आँखों में, दिन रात दिखाई देती है
वो तुम ही हो या फिर मेरे मन का ये भ्रम सारा है
वो कौन है जिसपे इस पागल ने धड़कन तक भी वारा है
1️⃣
वो कौन है जिसके मधुरिम स्वर, कानों में गूँजा करते हैं
वो कौन है जिसको मान के राधा, निश दिन पूजा करते हैं
क्षण भर जिसको भूल न पाये, नींदों में जिसे पुकारा है
वो कौन०—-
2️⃣
दूर बहुत है नजरों से पर दिल के बहुत करीब है
प्यार की भाषा पढ़ नहीं सकते यार बड़े ही अजीब हो
तुम वो नहीं तो किस पर मैंने जीवन अपना हारा है
वो कौन है जिस पर इस पागल ने धड़कन तक भी वारा है
3️⃣
कैसे-कैसे देके दिलासे मन को मैं समझता हूँ
लेकिन दिल के हाथों कितना खुद को बेबस पाता हूं
जान गया हूं प्रीत में अक्सर होता बड़ा ख़सारा है
वो कौन है जिस पर इस पागल ने धड़कन तक भी वारा है
4️⃣
अनदेखे इस प्रीत सिंधु में डूबूँ और उतराऊं में
कौन खिवैया मेरा प्रीतम जिसको ढूँढ़ न पाऊँ मैं
नाव फँसी मझधार में मेरी ।मिलता नहीं किनारा है
वो कौन है जिसपे इस पागल ने धड़कन तक भी वारा है
प्रीतम श्रावस्तवी