गीत
गीत
सादगी है अदा , याद के हैं भँवर !
खिलखिला तुम दिये , उठ रही है लहर !!
जान कर बन रहे , आज अनजान हो !
रूप ऐसा सजा , मान अभिमान हो !
देख कर पल ठगे , आज बरसा कहर !!
तौल कर दी खुशी , कुछ कमी रह गई !
श्वांस उठ के गिरी , फ़िर थमी रह गई !
भूल सब ही गये , कौन किसकी डगर !!
खो गये खुद कहीं , यह बहाना लगे !
मुस्कराते रहो , भाग अपने जगे !
टकटकी है लगी , खिल गये जो अधर !!
सादगी में सजी , यौवना , चंचला !
तन , वदन क्या कहें , मन मयूरी खिला !
छू गयी जब हवा , हो गये तर बतर !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्य प्रदेश )