Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2024 · 1 min read

गीत

गीत

सादगी है अदा , याद के हैं भँवर !
खिलखिला तुम दिये , उठ रही है लहर !!

जान कर बन रहे , आज अनजान हो !
रूप ऐसा सजा , मान अभिमान हो !
देख कर पल ठगे , आज बरसा कहर !!

तौल कर दी खुशी , कुछ कमी रह गई !
श्वांस उठ के गिरी , फ़िर थमी रह गई !
भूल सब ही गये , कौन किसकी डगर !!

खो गये खुद कहीं , यह बहाना लगे !
मुस्कराते रहो , भाग अपने जगे !
टकटकी है लगी , खिल गये जो अधर !!

सादगी में सजी , यौवना , चंचला !
तन , वदन क्या कहें , मन मयूरी खिला !
छू गयी जब हवा , हो गये तर बतर !!

स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्य प्रदेश )

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 176 Views

You may also like these posts

sp146 काव्य जगत के
sp146 काव्य जगत के
Manoj Shrivastava
किताब का दर्द
किताब का दर्द
Dr. Man Mohan Krishna
ज़िंदगी के सौदागर
ज़िंदगी के सौदागर
Shyam Sundar Subramanian
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
Shweta Soni
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
खुला पत्र ईश्वर के नाम
खुला पत्र ईश्वर के नाम
Karuna Bhalla
प्रोटोकॉल
प्रोटोकॉल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
गुमशुदा लोग
गुमशुदा लोग
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
The flames of your love persist.
The flames of your love persist.
Manisha Manjari
हरवक्त तुम मेरे करीब हो
हरवक्त तुम मेरे करीब हो
gurudeenverma198
कुछ दर्द ऐसे होते हैं
कुछ दर्द ऐसे होते हैं
Sonam Puneet Dubey
हाहाकार
हाहाकार
Dr.Pratibha Prakash
*करिए गर्मी में सदा, गन्ने का रस-पान (कुंडलिया)*
*करिए गर्मी में सदा, गन्ने का रस-पान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
होली
होली
Dr Archana Gupta
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
'प्रभात वर्णन'
'प्रभात वर्णन'
Godambari Negi
रुपयों लदा पेड़ जो होता ,
रुपयों लदा पेड़ जो होता ,
Vedha Singh
- छल कपट -
- छल कपट -
bharat gehlot
काश
काश
Sidhant Sharma
हमें लगा  कि वो, गए-गुजरे निकले
हमें लगा कि वो, गए-गुजरे निकले
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
आज खुशी भर जीवन में।
आज खुशी भर जीवन में।
लक्ष्मी सिंह
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
सादापन
सादापन
NAVNEET SINGH
उस
उस "पीठ" को बेवक़ूफ़ मानिएगा, जो "पेट" की शिकायत हमेशा उसी की
*प्रणय*
रातें सारी तकते बीतीं
रातें सारी तकते बीतीं
Suryakant Dwivedi
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
2526.पूर्णिका
2526.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
वक्त, बेवक्त मैं अक्सर तुम्हारे ख्यालों में रहता हूं
वक्त, बेवक्त मैं अक्सर तुम्हारे ख्यालों में रहता हूं
Nilesh Premyogi
मोहब्बत
मोहब्बत
Phool gufran
Loading...