गीत
कपास -वन
….क्षेत्रपाल शर्मा
08.12.2012
चुनो, फूल उपवन के II
दूध बढाने को बिनोले
तन ढकने को वस्त्र
यह है शालीनता – सजीव
यह है जीवन,
खिलखिलाते चल पड़ें बन ठन के II
कुल्हाड़ी की जरूरत नहीं
मिलता है ईंधन
पकाओ बालू पर
दाल- बाटी टनाटन
जीवन जिएं छन-छन के II
रस के मैले लदोई
को साफ़ करे मेरा रस
मेरे रहते गरीब का
ढांढस , जस का तस
सुर -सम -विषम है कंकड़ -कंचन कन कन के