गीत
गीत
क्षेत्रपाल शर्मा
सान्झ सकारे
नयन हमारे
पन्थ निहारे
सन सन रातों की
कोने सन्करे
झिल्मिल बिखरे,
केश फ़रहरे
फुसफुस अखरे
झर बरसातों की
मैना गाये
गज़ल सुनाये
जल भर आये
टूटे नातों की
विरह चिरन्तन
सजल घनाघन
टपटप आन्गन
झर बरसातों की
पीर परायी
शमझ न आयी
स्वर शहनायी
दूर बरातों की
विस्मित धूनी
श्याम सलोनी
बस्ती सूनी
ढोल किरातों की
-पला (एसी)/शान्तिपुरम,अलीगढ उप्र
kshetrapal Sharma at 9:36 AM
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