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14 May 2023 · 1 min read

गीत

गीत
क्षेत्रपाल शर्मा

सान्झ सकारे
नयन हमारे
पन्थ निहारे
सन सन रातों की
कोने सन्करे
झिल्मिल बिखरे,
केश फ़रहरे
फुसफुस अखरे
झर बरसातों की
मैना गाये
गज़ल सुनाये
जल भर आये
टूटे नातों की
विरह चिरन्तन
सजल घनाघन
टपटप आन्गन
झर बरसातों की
पीर परायी
शमझ न आयी
स्वर शहनायी
दूर बरातों की
विस्मित धूनी
श्याम सलोनी
बस्ती सूनी
ढोल किरातों की
-पला (एसी)/शान्तिपुरम,अलीगढ उप्र
kshetrapal Sharma at 9:36 AM
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Language: Hindi
152 Views
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