गीत
गीत
रंग बिखेरे हैं पलाश ने ,
फाग बड़ा इतराया !
ऋतु ने आज भरी पिचकारी ,
उत्सव होली आया !!
धूम मची है गली गली में ,
सभी रंग में डूबे !
कुछ हाथों में है गुलाल तो ,
मस्ती के मंसूबे !
ढोल ढमाके हाथ चंग हैं ,
मौसम है मदमाया !!
अधर अधर पर गीत सजे हैं ,
खुशियाँ द्वारे द्वारे !
विविध रंग में डूबे सब जन ,
झूमे नाचे सारे !
कहीं उदासी छलकी है तो ,
उसका मन बहलाया !!
कहीं भाँग है , कहीं स्वांग है ,
नटखट लगते सारे !
उम्र लगे देहरी है लाँघे ,
फलते सपने न्यारे !
आज कोई है नहीं पराया ,
अपनापन मुसकाया !!
रँगे पुते आनन हों सबके ,
मिल जुल यह ठाना है !
मुखड़े के पीछे मुखड़ा है ,
आँखों ने जाना है !
आज घटा है वैमनस्य तो ,
जन मन है हर्षाया !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्य प्रदेश )