गीत
#गीत
यार मिला है जुदा सभी से,
मान लिया है ख़ुदा कभी से।
होंगे जुदा न हम भी यारों,
कहते हम यह बात सभी से।।
देखूँ उसको मन भर आए,
मिलूँ गले हरपल दिल चाहे।
सीने में मैं रखूँ बिठाकर,
यही मुझे हसरत हर्षाए।।
तन दो हैं पर जान एक है,
कहता देखा उसे तभी से।
उसके ग़म सब अब मेरे हैं,
वचन यही लब पर लाता हूँ।
साथ कभी यह नहीं छुटेगा,
गीत अमरता के गाता हूँ।।
फूल वही मैं ख़ूशबू हूँ बस,
सोच लिये यह हृदय कभी से।
जोड़ रहे जो धन को भटके,
क्या उनको मैं सच बतलाऊँ।
रिश्तों से हटकर नरक मिले,
समझे उसको यह बतलाऊँ।।
भ्रम जग को ही पागल करता,
यही भुलाए रीति खुदी से।
#आर. एस. ‘प्रीतम’