‘गीत’
होंठों के तेरे मैं गीत बन जाऊँ,
हृदय में बसकर प्रीत बन जाऊँ।
फीके ये नजा़रे तू है जो सामने,
तेरे ही पूजा के गीत गुनगुनाऊँ।
हर नज़र में मेरी तू आए नज़र,
जाऊँ चाहे जहाँ देखूँ चाहे जिधर।
बाधा पर तेरी शूल बन जाऊँ,
होंठों के तेरे मैं गीत बन जाऊँ।
निहारूँ तुझे मैं,पुकारूँ तुझे मैं,
मनाऊँ तुझे मैं, रिझाऊँ तुझे मैं।
सूरत पर तेरी फूल सी हर्ष जाऊँ,
होंठों के तेरे मैं गीत बन जाऊँ।
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