गीत
गीत
सुनो री प्यारी मेघा, कहीं और जा के बरसो
मेरा प्रीतम आ रहा है, दिखा न मुखड़ा बरसो
कहीं और जाकर बरसो।
सज धज के मैं, बनी दुल्हनिया
करके हार शिंगार,ओ, हो
करके हार सिंगार
पहन पैंजनिया नाचती गाऊं, कंगना करे छनकार ओ, हो
कंगना करे छनकार
पी के रंग में, रंग जाऊं मैं, जाने न दूंगी परसों ।
कहीं और जाकर बरसो
सुनो री प्यारी मेघा, कहीं और जाकर बरसो।
सुन री पवन महका दो यह आंगन
सुमन सुगंध ले आकर ,ओ, हो सुमन सुगंध ले आकर
कह दो बहार से फूल ले आओ
बिछा दो सेज पर आकर ओहो बिछा दो सेज पर आकर
अपने पिया को मै रिझाऊं, जाने न दूंगी परसों
कहीं और जाकर बरसो।
सुनो री प्यारी मेघा, कहीं और जाकर बरसो ।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हि० प्र०