गीत
गीत
मात्रा भार 16
यह हरा फैलाव बरगद का,
इसकी छैयां बैठे हम सब,
इसकी छैयां बैठे हम सब,
खिलता मौसम है सौरभ सा।
खूब वितान फैला अंगना,
पंछी झूलते खूब पलना,
उड़ -उड़ आती दूर गगन से,
चूमे जाती ,मस्त पवन आ।
चारों ओर कदली विटप है,
बेल जड़ों की खूब लटक है,
ऊपर फैला ,नीलगगन है,
भोर सुहानी ,खूब मगन है।
निसदिन प्राणवायु फैलाता,
हरियाला है सबको भाता,
भुजा पसारे ,पास बुलाता,
शीतल पवन नित है लुटाता।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर ( हि० प्र०)