गीत
गीत
दर्पण झूठ नहीं कहता है ।
लाख लगा के चेहरे मुख पर,
बहुत छुपा फिरता है।
सच को सामने लाकर ,
दर्पण झूठ नहीं कहता है।
आग से धुंआ, दूध में पानी,
कभी नहीं छुप सकता है।
मुख से निकली वाणी और
तीर कभी ना चुकता है।
लोभ को मन से दूर करो
मन कभी नहीं भर सकता।
सच को सामने लाकर,
दर्पण झूठ नहीं कहता है।
अंतर्मन में उठा उफान,
दवाए ना दबता है।
हृदय मंथन उमड़ -घुमड़ कर ,
नैनों में छा जाता है।
लाख लगा दो इस पर परदे
सूरत सब दिखलाता।
सच को सामने लाकर ,
दर्पण झूठ नहीं कहता है।
लाख लगा के चेहरे मुख पर,
बहुत छुपा फिरता है।
सच को सामने लाकर ,
दर्पण झूठ नहीं कहता है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)