गीत
गीत
सज धज के मैं आ गई प्रीतम, करके सोलह शिंगार।
अब मेरे प्रीतम ले चल दुनिया के पार।
छोड़कर जग को आ गई ,मैं शरण तेरे
अब अलकापुरी लागे मोहे चरण तेरे।
इन चरणों की दासी बनकर वारुं यह संसार।
अब मेरे प्रीतम ले चल दुनिया के पार।
सज धज के मैं आ गई प्रीतम करके सोलह शिंगार।
अब मेरे प्रीतम ले चल दुनिया के पार।
बन प्रेम सुगंध बस जाओ, हिय पटल मेरे,
इन नैनन में बस जाओ ,हो अटल मेरे।
मैं बन जाऊं राधा तेरी तुम बनो कृष्ण मुरार।
अब मेरे प्रीतम ले चल दुनिया के पार।
मैं बहुं प्रीत की सरिता ,बनो सागर मेरे।
कल- कल आऊं नाचती, प्रेमनगर तेरे।
मैं बनूं जीवन संगिनी तेरी ,तुम हो जीवन सार
अब मेरे प्रीतम ले चल दुनिया के पार।
सज-धज के मैं आ गई प्रीतम करके सोलह शिंगार।
अब मेरे प्रीतम ले चल दुनिया के पार।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश