गीत
गीत..
मन चंचल है ,मन व्याकुल है
बिखरा बिखरा ,तन आकुल है।
तू बनता पतवार अगर तो
छूटा नहीं किनारा होता।
हम भी होते साथ आज यदि
तूने दिया सहारा होता।।
रीता-रीता मन तब शायद
तेरे पहलू सोता होता।
कुछ पल हँसता,कुछ पल रोता,
भुज बंध आलिंगन जब होता।
ले हाथों में हाथ कभी तो
तूने मुझे पुकारा होता।
हम भी होते साथ आज ,यदि
तूने दिया सहारा होता।
देखूँ प्रियतम को उदास जब,
गगरी नैनों की भर जाती।
देख तुझे खुश संग गैर के
चित्र लिखित मैं रह जाती।
काश!कभी तूने मेरा भी
दिल में चित्र उभारा होता।
हम भी होते साथ आज यदि
तूने दिया सहारा होता।
स्वरचित ,मौलिक ,अप्रकाशित
मनोरमा जैन पाखी